नवरात्र कलश स्थापना की विधि( Navratri Kalash Sthapana Vidhi in Hindi)
नवरात्र कलश स्थापना की विधि( Navratri Kalash Sthapana Vidhi in Hindi)
नवरात्र
हिन्दुओं का एक पावन पर्व है। नवरात्र की पूजा नौ दिनों तक चलती हैं। इन नौ दिनों
में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्र के आरंभ में प्रतिपदा तिथि
को कलश या घट की स्थापना की जाती है। कलश को भगवान गणेश का रूप माना जाता है।
हिन्दू धर्म में हर पूजा से पहले गणेश जी की पूजा का विधान है इसलिए नवरात्र की
शुभ पूजा से पहले कलश के रूप में गणेश को स्थापित किया जाता है।
कलश स्थापना के लिए महत्त्वपूर्ण वस्तुएं (Important Things for Kalash Sthapna)
· मिट्टी का पात्र और जौ
· शुद्ध साफ की हुई मिट्टी
· शुद्ध जल से भरा हुआ सोना, चांदी, तांबा, पीतल या मिट्टी का कलश
· मोली (लाल सूत्र)
· साबुत सुपारी
· कलश में रखने के लिए सिक्के
· अशोक या आम के 5 पत्ते
· कलश को ढकने के लिए मिट्टी का
ढक्कन
· साबुत चावल
· एक पानी वाला नारियल
· लाल कपड़ा या चुनरी
· फूल से बनी हुई माला
नवरात्र कलश स्थापना की विधि (Kalash Sthapana Vidhi in Hindi)
भविष्य पुराण
के अनुसार कलश स्थापना के लिए सबसे पहले पूजा स्थल को शुद्ध कर लेना चाहिए। एक
लकड़ी का फट्टा रखकर उसपर लाल रंग का कपड़ा बिछाना चाहिए। इस कपड़े पर थोड़ा- थोड़ा
चावल रखना चाहिए। चावल रखते हुए सबसे पहले गणेश जी का स्मरण करना चाहिए। एक मिट्टी
के पात्र (छोटा समतल गमला) में जौ बोना चाहिए। इस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश
स्थापित करना चाहिए। कलश पर रोली से स्वस्तिक या ऊं बनाना चाहिए।
कलश के मुख पर रक्षा सूत्र बांधना चाहिए। कलश में सुपारी, सिक्का डालकर आम या अशोक के पत्ते रखने चाहिए। कलश के मुख को ढक्कन से ढंक
देना चाहिए। ढक्कन पर चावल भर देना चाहिए। एक नारियल ले उस पर चुनरी लपेटकर रक्षा
सूत्र से बांध देना चाहिए। इस नारियल को कलश के ढक्कन पर रखते हुए सभी देवताओं का
आवाहन करना चाहिए। अंत में दीप जलाकर कलश की पूजा करनी चाहिए। कलश पर फूल और
मिठाइयां चढ़ाना चाहिए।
नवरात्र पूजा विधि
नवरात्र पूजा विधि (Navratra Puja Vidhi)
नवरात्र के नौ
दिन देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्र व्रत (Navratri Puja Vidhi) की शुरूआत प्रतिपदा तिथि को कलश स्थापना से की जाती है। नवरात्र के नौ दिन
प्रात:, मध्याह्न और संध्या के समय भगवती दुर्गा की पूजा करनी चाहिए। श्रद्धानुसार
अष्टमी या नवमी के दिन हवन और कुमारी पूजा कर भगवती को प्रसन्न करना चाहिए।
नवरात्र व्रत
की शुरुआत प्रतिपदा तिथि को कलश स्थापना से की जाती है।
नवरात्र के 10 दिन प्रात:, मध्याह्न और संध्या के समय भगवती दुर्गा की पूजा करनी चाहिए। श्रद्धानुसार
अष्टमी या नवमी के दिन हवन और कुमारी पूजा कर भगवती को प्रसन्न करना चाहिए।
नवरात्र में
हवन और कन्या पूजन अवश्य करना चाहिए। नारदपुराण के अनुसार हवन और कन्या पूजन के
बिना नवरात्र की पूजा अधूरी मानी जाती है। साथ ही नवरात्र में मां दुर्गा की पूजा
के लिए लाल रंग के फूलों व रंग का अत्यधिक प्रयोग करना चाहिए। नवरात्र में
"श्री दुर्गा सप्तशती" का पाठ करने का प्रयास करना चाहिए।
परंपरागत रूप
से हिंदू धर्म में, शराब और गैर-शाकाहारी भोजन का उपभोग अशुभ और अपवित्र माना जाता है लेकिन इसके
पीछे वैज्ञानिक कारण भी हैं। इन उपवासों के दौरान लोग मांस, अनाज, शराब, प्याज, लहसुन आदि खाने से बचते हैं। आयुर्वेदिक परिप्रेक्ष्य से, ये खाद्य पदार्थ नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करते हैं और अवशोषित करते हैं।
इसके अलावा, मौसमी बदलाव के दौरान ऐसे पदार्थों से बचा जाना चाहिए क्योंकि हमारे शरीर ऐसे
समय के दौरान कम प्रतिरक्षा रखते हैं।
The method of establishing Navratri Kalash (Navratri Kalash Sthapana Vidhi in Hindi)
Navratri is a sacred festival of Hindus. The Navratri worship
lasts for nine days. Nine forms of Maa Durga are worshiped in these nine days.
At the beginning of Navratri, the Kalash or Ghat is established on Pratipada
Tithi. Kalash is considered as the form of Lord Ganesha. In Hinduism, there is
a law to worship Ganesha before every Puja, therefore Ganesh is established as
a Kalash before the auspicious worship of Navratri.
Important things for Kalash installation (Important Things for Kalash Sthapna)
• Ceramics and Barley
• Purified Soil
• Gold, silver, copper, brass or clay vase filled with pure
water
• moly (red thread)
• Whole betel nuts
Coins to keep in the urn
• 5 leaves of Ashoka or Mango
• Mud lid to cover the urn
• Whole Rice
• A watery coconut
• red cloth or chunari
• garland made of flowers
Kalash Sthapana Vidhi in Hindi
According to the Bhavishya Purana, the place of worship
should be first purified for the establishment of the Kalash. A piece wooden should be laid and a red cloth should be laid on it. A little rice should be
put on this cloth. Ganesha should be remembered first while keeping rice.
Barley should be sown in an earthen vessel (small flat pot). A vessel filled
with water should be installed on this vessel. Swastika or Om should be made
from roli on the urn.
Raksha Sutras should be tied on the face of the Kalash.
Put betel nut, coin in the Kalash and keep Mango or Ashoka leaves. The mouth of
the urn should be covered with a lid. Rice should be filled on the lid. Take a
coconut and wrap it on it and tie it with Raksha Sutra. All the Gods should be
invoked by placing this coconut on the lid of the urn. Finally the lamp should
be lit by worshiping the lamp. Flowers and sweets should be offered on the
Kalash.
Navratri Puja Vidhi
Navratra Puja Vidhi
Various forms of Goddess Durga are worshiped on the nine days
of Navratri. Navratri fast (Navratri Puja Vidhi) is started from the
establishment of Kalash on Pratipada date. On the nine days of Navratri, one
should worship Bhagwati Durga at midday and evening. According to reverence,
worshiping havan and kumari on Ashtami or Navami should please Bhagwati.
Navaratri fast is started on the Pratipada Tithi by
establishing the Kalash.
10 days of Navratri should be worshiped on the morning and
evening of Bhagwati Durga. According to reverence, worshiping havan and kumari
on Ashtami or Navami should please Bhagwati.
One should worship Havan and Kanya in Navratri. According to
Naradpuran, the worship of Navratri is considered incomplete without havan and
kanya pujan. Also, for the worship of Goddess Durga in Navratri, excessive use
of red flowers and color should be used. One should try to recite "Sri
Durga Saptashati" in Navratri.
Traditionally in Hinduism, consumption of alcohol and
non-vegetarian food is considered inauspicious and impure but there are
scientific reasons behind it. People avoid eating meat, grains, alcohol,
onions, garlic etc. during these fasts. From an Ayurvedic perspective, these
foods attract and absorb negative energy. In addition, such substances should
be avoided during seasonal changes because our bodies are less immune during
such times.
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