कंजक पूजा परिचय हिंदी में ( Kanjak Puja Parichay Hindi Me )



कंजक पूजा परिचय हिंदी में  ( Kanjak Puja Parichay Hindi Me )
कंजक पूजा परिचय हिंदी में  ( Kanjak Puja Parichay Hindi Me )
कंजक पूजा परिचय हिंदी में  ( Kanjak Puja Parichay Hindi Me )



कंजक पूजा नवरात्रि के अष्टमी या नौवीं (आठवीं या नौवें दिन) पर की जाता है। देवी को आभार देने का यह एक और तरीका है। कुमारी पूजा या कंजक को  देवी महाकाली द्वारा दानव कलासुरा के वध के उपलक्ष में मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि कलासुरा ने स्वर्ग और पृथ्वी दोनों को परेशान करना शुरू कर दिया था और कोई भी उसे पराजित नहीं कर पा रहा था। कलासुरा को रोकने के प्रयास में, अन्य देवताओं ने देवी महाकाली से संपर्क किया था जिन्होंने देवी दुर्गा के रूप में पुनर्जन्म लिया था। देवी ने एक छोटी लड़की का रूप ले लिया और कलासुरा से संपर्क किया।

कलासुरा ने जब यह देखा की एक छोटी सी लड़की उसको चुनोती दे रही है तो वह लापरवाह हो गया  और उसने यह सोचा की वह बड़ी असानी से उस कन्या को पराजित कर देगा। उस समय पर, देवी महाकाली ने अपनी तलवार को निकाला और उसे मार दिया। एक अन्य कथा से पता चलता है कि एक युवा लड़की (कन्या / कुंवारी) की पूजा की जाती है क्योंकि वह उसका सबसे शुभ स्वरूप है बाद में, वह एक पत्नी और माता (पार्वती, लक्ष्मी) की भूमिका, अपने बच्चों (सरस्वती) की शिक्षक की भूमिका और सभी बाधाओं (दुर्गा) के विनाश की भूमिका ग्रहण कर लेती है।









कंजक पूजा विधि

 परंपरा कहती हैं कि घर की महिला 9 लड़कियों का स्वागत उनके पैरों को धो कर और उनकी कलायिओं पर मोली या लाल धागा बांध कर करती है। इन लड़कियां को एक पंक्ति में बैठाया जाता है और उपहारों के साथ हलवा, पूरी और छोले (जिसे 'भोग' भी कहा जाता है) दिए जाते है। इन छोटी लड़कियों को देवी दुर्गा के अवतार के रूप में देखा जाता है।कंजक पूजा आरम्भ करने से पहले कुछ वस्तुओं का होना आवश्यक है।  उन वस्तुओं की सूचि इस प्रकार है: कलश (पिचर), आम के पत्ते, नारियल, रौली (कुमकुम), हल्दी, लाल पवित्र धागा, चावल, पान के पत्ते, सुपारी, लौंग, इलायची, फूल, बेल पत्ते, मिठाई और दीपक। कलश को ऊपर तक पानी से भरें। कलश के मुंह पर आम के पत्ते को रखें। कलश की गर्दन पर पवित्र धागा बांधें कलश के पास देवी दुर्गा की मूर्ति को रखें और उनकी हल्दी, कुमकुम, फूल, चावल, बेल पत्तियों आदि से पूजा करें।
लड़कियों के आने के बाद, उनके पैरों को धोने के लिए पानी को तैयार रखें। लड़कियों के पेरों को पानी से धोएं। कंजकों की उसी तरह से पूजा करें जिस तरह से आपने देवी दुर्गा की मूर्ति की पूजा की है। हल्दी, कुमकुम, चावल आदि को कंजकों पर लगायें। लड़कियों के सामने एक दीपक और धूप जलाएं। कंजकों को दियी जाने वाला भोजन शाकाहारी होना चाहिए और उसे घी पकाना चाहिए। आम तौर पर कंजकों को पूरी, काला चना, आलू की सबजी और हलवा खिलाया जाता है। लड़कियों को खिलाने के बाद, उन्हें उपहार दें उपहार में एक चुनरी, चूड़ी, कुमकुम, हल्दी, मिठाई और पैसे शामिल होना चाहिए।







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नवरात्री समापन

 नौ दिनों के पूजा खत्म हो जाने के बाद, दसवीं दिन पर दुर्गा की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है। दसवें दिन, नहा-धो कर पूजा स्थान पर बैठें। माँ दुर्गा की मूर्ति को चोव्की से उठा कर उस स्थान पर रखें जहाँ पर वह स्थाई रूप से रखी जाती है। चोव्की पर रखे चढ़ावे को इकठा कर के उसे प्रसाद के रूप में लोगों में बाँट दें। चावल के दानो को पक्षियों में बाँट दें। कलश में रखे गंगा जल को अपने परिवार के सदस्यों और पूरे घर में छिड़क दें।
सिक्कों को बाहर निकालें और उन्हें अपने दूसरे पैसे के साथ रखें। आम तौर पर मिट्टी के बर्तन में जौ के विकास पर निगरानी राखी जाती है। जौ के बीज को शकमभारी देवी माता के सम्मान में लगाया जाता है (जो दुर्गा पाठ के 11 वें अध्याय में वर्णित है और जो माँ दुर्गा की ही एक रूप हैं)। माँ शकमभारी देवी पोषण की माता हैं। यदि जौ के बीज बढ़ते हैं और प्रचुर मात्रा में ताजे हरे रंग में उगते हैं, तो यह एक निश्चित संकेत है कि आपके परिवार को समृद्धि और खुशी का आशीर्वाद मिलेगा। कुछ अंकुरित जौ माता दुर्गा को अर्पण करें।











श्रीमद्देवी भागवत के अनुसार नवरात्र पूजा (Navratri Puja Vidhi in Hindi) से जुड़ी कुछ विशेष बातें निम्न हैं:
* यदि श्रद्धालु नवरात्र में प्रतिदिन पूजा ना कर सके तो अष्टमी के दिन विशेष पूजा कर वह सभी फल प्राप्त कर सकता है।
* अगर श्रद्धालु पूरे नवरात्र में उपवास ना कर सके तो तीन दिन उपवास करने पर भी वह सभी फल प्राप्त कर लेता है। कई लोग नवरात्र के प्रथम दिन और अष्टमी एवम नवमी का व्रत करते हैं। शास्त्रों के अनुसार यह भी मान्य है।
* नवरात्र व्रत देवी (Navratri Puja Vidhi) पूजन, हवन, कुमारी पूजन और ब्राह्मण भोजन से ही पूरा होता है।

          Kanjak Puja Introduction

Kanjak Puja is performed on Ashtami or Navmi (eighth or ninth day) of Navratri. This is another way to thank Goddess. Kumari Puja or Kanjak is celebrated to commemorate the slaughter of the demon Kalasura by the goddess Mahakali. It is believed that Kalasura started harassing both heaven and earth and no one was able to defeat him. In an attempt to stop Kalasura, the goddess Mahakali was approached by other gods who were reborn as Goddess Durga. Devi took the form of a little girl and approached Kalasura.
When Kalasura saw that a small girl was giving him picks, he became careless and thought that he would defeat the girl with great ease. At that time, Goddess Mahakali took out her sword and killed it. Another legend suggests that a young girl (Virgo / virgin) is worshiped because it is her most auspicious form. Later, she plays the role of a wife and mother (Parvati, Lakshmi), of her children (Saraswati). Takes the role of the teacher and the destruction of all obstacles (Durga).

Kanjak Puja Vidhi

Tradition says that the women of the house welcome 9 girls by washing their feet and tying moli or red thread on their works. These girls are seated in a row and are given halwa, puri, and chhole (also known as ‘bhoga’) along with gifts. These little girls are seen as an incarnation of Goddess Durga. Some things must be done before beginning Kanja Puja. The list of those items is as follows: Kalash (Pitcher), Mango leaves, Coconut, Rauli (Kumkum), Turmeric, Red Holy thread, Rice, Betel leaves, Betel nut, Cloves, Cardamom, Flowers, Bell leaves, Sweets and Deepak. Fill the Kalash with water till the top. Place the mango leaf on the mouth of the urn. Tie a sacred thread on the neck of the Kalash Place the idol of Goddess Durga near the Kalash and worship them with turmeric, kumkum, flowers, rice, vine leaves, etc.
After the girls arrive, keep the water ready to wash their feet. Wash girls' feet with water. Worship Kanjak in the same way that you have worshiped the idol of Goddess Durga. Apply turmeric, kumkum, rice, etc. to the Kanjas. Light a lamp and incense in front of girls. The food served to the children should be vegetarian and should be cooked with ghee. The kanjas are usually fed puri, black gram, potato vegetable, and pudding. After feeding the girls, give them a gift. The gift should include a chunari, bangle, kumkum, turmeric, sweets, and money.

Navratri Termination

After the nine-day puja is over, the idol of Durga is immersed on the tenth day. On the tenth day, take a bath and sit at the place of worship. Take the idol of Goddess Durga from the chowki and keep it in the place where it is kept permanently. Collect the offerings on the chowki and distribute it among the people as offerings. Distribute the rice grains to the birds. Sprinkle the Ganges water in the Kalash to your family members and the whole house.
Take out the coins and keep them with your other money. Normally, the development of barley in an earthen pot is monitored. Barley seeds are planted in honor of Maa Shakambhari Devi (which is mentioned in the 11th chapter of the Durga text and which is a form of Maa Durga). Maa Shakambhari Devi is the mother of nutrition. If barley seeds grow and grow in abundant fresh green color, it is a sure sign that your family will be blessed with prosperity and happiness. Offer some sprouted barley to Mata Durga.
According to Srimaddevi Bhagwat, some special things related to Navratri Puja (Hindi) are:
* If the devotee cannot worship daily in Navratri, then by doing special worship on Ashtami, he can get all the fruits.
* If the devotee cannot fast in the entire Navratri, then even after fasting for three days, he gets all the fruits. Many people observe the first day of Navratri and fast on Ashtami and Navami. It is also valid according to the scriptures.
* Navratri Vrat Devi (Navratri Puja Vidhi) is completed by worship, havan, Kumari Pujan, and Brahmin food.

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