माँ शैलपुत्री की कहानी हिंदी में Maa Shailputri Ki Kahani Hindi Me


माँ दुर्गा के 9 अवतारों की कहानियाँ हिंदी में (शैलपुत्री)Maa Durga Ke 9 Avtaaron Ki Kahaniyan Hindi Me (Shailputri)

माँ शैलपुत्री की कहानी हिंदी में Maa Shailputri Ki Kahani Hindi Me


 शैलपुत्री 
माँ शैलपुत्री की कहानी हिंदी में Maa Shailputri Ki Kahani Hindi Me
माँ शैलपुत्री की कहानी हिंदी में Maa Shailputri Ki Kahani Hindi Me

वन्दे वांच्छितलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्
वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्

शैलपुत्री देवी दुर्गा का प्रथम रूप है। वह पर्वतों के राजाहिमालय की पुत्री हैं। राजा हिमालय और उनकी पत्नी मेनका ने कड़ी तपस्या की जिसके फल स्वरुप माता दुर्गा उनकी पुत्री के रूप में पृथ्वी पर उतरी। तभी उनका नाम शैलपुत्री रखा गया यानी (शैल = पर्वत और पुत्री = बेटी) माता शैलपुत्री का वाहन बैल है तथा उनके दायें हाँथ में त्रिशूल और बाएं हाँथ में कमल का फूल होता है ।

दक्ष यज्ञ में पवित्र माँ ने सती के रूप में अपने शरीर को त्याग दिया। उसके पश्चात माँ दोबारा भगवान शिव जी की दिव्य पत्नी बनी। उनकी कहानी बहुत ही प्रेरणा देती है।
मां दुर्गा को सर्वप्रथम शैलपुत्री के रूप में पूजा जाता है। नवरात्रि में दुर्गा पूजा के अवसर पर नौ रूपों की पूजा-उपासना बहुत ही विधि विधान से की जाती है। इन रूपों के पीछे तात्विक अवधारणाओं का परिज्ञान, धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक विकास के लिए अतिआवश्यक है।

मां शैलपुत्री की कहानी


एक बार जब प्रजापति ने यज्ञ किया तो इसमें सारे देवताओं को निमंत्रित किया, परन्तु भगवान शंकर को निमंत्रित नहीं किया । सती यज्ञ में जाने के लिए विकल हो उठीं। शंकरजी ने कहा कि सारे देवताओं को निमंत्रित किया गया है, उन्हें नहीं। ऐसे में वहां जाना उचित नहीं है।









माँ सिद्धिदात्री  की कहानी

सती का प्रबल आग्रह देखकर शंकरजी ने उन्हें यज्ञ में जाने की अनुमति दे दी। सती जब घर पहुंचीं तो सिर्फ मां ने ही उन्हें स्नेह दिया।

बहनों की बातों में व्यंग्य और उपहास के भाव थे। भगवान शंकर के प्रति भी तिरस्कार के भाव थे। दक्ष ने भी उनके प्रति अपमानजनक वचन कहे। इससे सती को दुःख पहुंचा।

वे अपने पति का यह अपमान सह सकीं और योगाग्नि द्वारा अपने को जलाकर भस्म कर लिया। इस दारुण दुख से व्यथित होकर शंकर भगवान ने उस यज्ञ का विध्वंस कर दिया।

यही सती अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्मीं और शैलपुत्री कहलाईं। शैलपुत्री का विवाह भी भगवान शंकर से हुआ। शैलपुत्री शिवजी की अर्द्धांगिनी बनीं।










पार्वती और हेमवती भी इसी देवी के अन्य नाम हैं। हिमालय के यहां पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण उनका नामकरण हुआ शैलपुत्री। इनका वाहन वृषभ है, इसलिए यह देवी वृषारूढ़ा के नाम से भी जानी जाती हैं। इनका महत्व और शक्ति अनंत है।



Stories of 9 incarnations of Maa Durga (Shailputri)

 Shailaputri
माँ शैलपुत्री की कहानी हिंदी में Maa Shailputri Ki Kahani Hindi Me
माँ शैलपुत्री की कहानी हिंदी में Maa Shailputri Ki Kahani Hindi Me

वन्दे वांच्छितलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्
वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्

Vande wanchithalabhoy Chandrardhikritashekharam I
Vrishrudharan Shuldharan Shailputri Yashasvinam II

Shailputri is the first form of Goddess Durga. She is the daughter of the king of the mountains - the Himalayas. King Himalaya and her wife Meneka underwent severe penance, as a result of which Maa Durga descended on the earth as their daughter. Then she was named Shailputri i.e. (Shail = mountain and daughter = daughter). The vehicle of Mata Shailputri is bull and there is trident in her right hand and lotus flower in the left hand.
In the Daksha Yajna, the holy Maa sacrificed her body as Sati. After that, the Maa again became the divine wife of Lord Shiva. Her story is very inspiring.

Maa Durga is first worshiped as Shailputri. On the occasion of Durga Puja in Navaratri, nine forms of worship are worshiped with the help of very lawful legislation. The understanding of the elemental concepts behind these forms is essential for religious, cultural and social development.

Story of Maa Shailputri

Once when Prajapati performed a yajna, he invited all the gods in it but did not invite Lord Shankar. Sati woke up to go to the yagna. Shankarji said that all the gods have been invited, not them. In such a situation, it is not appropriate to go there.

Seeing Sati's strong request, Shankarji allowed her to go to the yagna. When Sati reached home, only her Maa gave her affection.

There was a sense of sarcasm and ridicule among the sisters. There were also feelings of disgust towards Lord Shankar. Daksha also made derogatory words towards him. Sati was saddened by the.

She could not bear the insult of her husband and burnt herself by yogagni. Distressed by the Darun's sorrow, Lord Shankar destroyed the sacrifice.

The Sati was born in the next life as the daughter of Shailraj Himalaya and called Shailputri. Shailputri was also married to Lord Shankar. Shailputri became the ardhangini of Shiva.

Parvati and Hemavati is also another name of the goddess. She was named Shailputri after being born as a daughter here in the Himalayas. Their vehicle is Taurus, hence it is also known as Goddess Vrisharuda. Their importance and power is endless.

The goddess is holding a trident in the right hand and the lotus is adorned in the left hand. The Goddess is the first Durga. She is also known as Sati.


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