माँ दुर्गा के 9 अवतारों की कहानियाँ हिंदी में (ब्रह्मचारिणी)
Maa Durga Ke 9 Avtaaron Ki Kahaniyan Hindi me (Brahmacharini)
माँ ब्रह्मचारिणी की कहानी हिंदी में Maa Brahmacharini Ki Kahani Hindi Me
ब्रह्मचारिणी
माँ ब्रह्मचारिणी की कहानी हिंदी में Maa Brahmacharini Ki Kahani Hindi Me
दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥
(ब्रह्म = तपस्या), माता दुर्गा इस रूप में वह अपने दायें हाथ में एक जप माला और बाएं हाथ में एक कमंडल पकड़ी रहती है । नारद मुनि के सलाह देंने पर माता ब्रह्मचारिणी ने शिवजी को पाने के लिए कठोर तपस्या किया। पवित्र माता में बहुत ही ज्यादा शक्ति है।
मुक्ति प्राप्त करने के लिए माता शक्ति ने ब्रह्म ज्ञान को ज्ञात किया और उसी कारण से उनको ब्रह्मचारिणी के नाम से पूजा जाता है। माता अपने भक्तों को सर्वोच्च पवित्र ज्ञान प्रदान करती हैं।
नवरात्रि में दुर्गा पूजा के अवसर पर बहुत ही विधि-विधान से माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-उपासना की जाती है। आइए जानते हैं दूसरी देवी ब्रह्मचारिणी के बारे में :-
माता ने भगवान
शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। इस कठिन तपस्या के कारण इस देवी को तपश्चारिणी अर्थात् ब्रह्मचारिणी नाम से अभिहित किया।
मां दुर्गा की नवशक्ति का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है। यहां ब्रह्म का अर्थ तपस्या से है। मां दुर्गा का यह स्वरूप भक्तों और सिद्धों को अनंत फल देने वाला है। इनकी उपासना से तप,
त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की वृद्धि होती है। ब्रह्मचारिणी का अर्थ तप की चारिणी यानी तप का आचरण करने वाली। देवी का यह रूप पूर्ण ज्योतिर्मय और अत्यंत भव्य है। देवी के दाएं हाथ में जप की माला है और बाएं हाथ में यह कमण्डल धारण किए हैं।
पूर्वजन्म में देवी ने हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया था और नारदजी के उपदेश से भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। इस कठिन तपस्या के कारण इन्हें तपश्चारिणी अर्थात् ब्रह्मचारिणी नाम से अभिहित किया गया। एक हजार वर्ष तक इन्होंने केवल फल-फूल खाकर बिताए और सौ वर्षों तक केवल जमीन पर रहकर शाक पर निर्वाह किया।
कुछ दिनों तक कठिन उपवास रखे और खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप के घोर कष्ट सहे। तीन हजार वर्षों तक टूटे हुए बिल्व पत्र खाए और भगवान शंकर की आराधना करती रहीं। इसके बाद तो उन्होंने सूखे बिल्व पत्र खाना भी छोड़ दिए। कई हजार वर्षों तक निर्जल और निराहार रह कर तपस्या करती रहीं। पत्तों को खाना छोड़ देने के कारण ही इनका नाम अपर्णा नाम पड़ गया।
कठिन तपस्या के कारण देवी का शरीर एकदम क्षीण हो गया। देवता, ऋषि, सिद्धगण, मुनि सभी ने ब्रह्मचारिणी की तपस्या को अभूतपूर्व पुण्य कृत्य बताया, सराहना की और कहा -हे देवी आज तक किसी ने इस तरह की कठोर तपस्या नहीं की। यह तुम्हीं से ही संभव थी। तुम्हारी मनोकामना परिपूर्ण होगी और भगवान चंद्रमौलि शिवजी तुम्हें पति रूप में प्राप्त होंगे। अब तपस्या छोड़कर घर लौट जाओ। जल्द ही तुम्हारे पिता तुम्हें बुलाने आ रहे हैं।
मां ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से सर्वसिद्धि प्राप्त होती है। दुर्गा पूजा के दूसरे दिन देवी के इसी स्वरूप की उपासना की जाती है। इस देवी की कथा का सार यह है कि जीवन के कठिन संघर्षों में भी मन विचलित नहीं होना चाहिए।
Stories of 9 incarnations of Maa Durga (Brahmacharini)
Brahmacharini
माँ ब्रह्मचारिणी की कहानी हिंदी में Maa Brahmacharini Ki Kahani Hindi Me
दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥
Dadhana
Karapadmabhyamakshmalkamandalu I
Devi Prasidatu
Mayi Brahmacharinanyuttama॥
(Brahma = penance), Maa Durga in the
form holds a chanting garland in her right hand and a kamandal in her left
hand. On the advice of Narada Muni, Maa Brahmacharini did austerity to get
Shiva. There is immense power in the holy Maa.
To attain liberation, Mata Shakti came to know
Brahman knowledge and for that reason, she is worshiped as Brahmacharini. Mata
imparts supreme sacred knowledge to her devotees.
On the occasion of Durga Puja in
Navaratri, nine forms of Mata Durga are worshiped with great statute. Let's
know about the second goddess Brahmacharini: -
Maa had done severe penance to get Lord
Shankar as her husband. Due to the difficult penance, the goddess was named
Tapashcharini i.e. Brahmacharini.
The second form of Maa Durga's
Navashakti is that of Brahmacharini. Brahma here means penance. Ther form of
Maa Durga is going to give eternal fruits to devotees and Siddhas. Their
worship leads to the growth of tenacity, sacrifice, disinterest, virtue, and
self-control. Brahmacharini means charni of austerity, which is to conduct
austerities. The form of Goddess is completely lit and extremely gorgeous. The
goddess has a garland of chanting in her right hand and she holds it in her
left hand.
Devi was born as a daughter of the
Himalayas in her former birth and underwent intense penance to receive Lord
Shankar as her husband through Narada's teachings. Due to the difficult
penance, he was named Tapashcharini i.e. Brahmacharini. For a thousand years,
he spent only eating fruits and flowers, and for a hundred years, living only
on the ground lived on the herb.
Fasting hard for a few days and
suffering severe rain and sunlight under the open sky. For three thousand
years, the broken leaves were eaten and worshiped Lord Shankar. After that, She
also left eating dry bilva Patra. For several thousand years, she continued to
perform penance by remaining waterless and unharmed. Due to the leaves eating
food, he got the name Aparna.
Due to hard penance, the body of the
goddess was completely eroded. Gods, sages, siddhaganas, sages all described
Brahmacharini's penance as an unprecedented virtuous act praised and said - O
Goddess, no one has done such rigorous penance to date. There was possible
only from you. Your wish will be fulfilled and Lord Chandramouli Shivji will
receive you as a husband. Now leave penance and return home. Soon your father
is coming to call you.
All attainment is attained by the grace
of Goddess Brahmacharini. Ther form of Goddess is worshiped on the second day
of Durga Puja. The essence of the story of the goddess is that the mind should
not be distracted even in the difficult struggles of life.
No comments:
Post a Comment