मां दुर्गा की पवित्र पौराणिक कथा
( Maa Durga Ki Pavitra Pauranik
Katha )
मां दुर्गा की पवित्र पौराणिक कथा ( Maa Durga Ki Pavitra Pauranik Katha )
'या देवी सर्वभूतेषु चेतनेत्यभिधीयते।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।'
अर्थ : हे मां!
सर्वत्र विराजमान और मां सिद्धिदात्री के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है, या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ। हे मां,
मुझे अपनी कृपा का पात्र बनाओ।
कैलाश पर्वत के निवासी भगवान शिव की अर्धांगिनी मां सती पार्वती को ही शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायिनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री आदि नामों से जाना जाता है। इसके अलावा भी मां के अनेक नाम हैं जैसे दुर्गा, जगदम्बा, अम्बे, शेरांवाली आदि,
लेकिन सबमें सुंदर नाम तो
'मां' ही है।माता की पवित्र गाथा
आदि सतयुग के राजा दक्ष की पुत्री पार्वती माता को शक्ति कहा जाता है। पार्वती नाम इसलिए पड़ा की वह पर्वतराज अर्थात् पर्वतों के राजा की पुत्री थी। लेकिन वह भस्म रमाने वाले योगी शिव के प्रेम में पड़ गई। शिव के कारण ही उनका नाम शक्ति हो गया। पिता की अनिच्छा से उन्होंने हिमालय के इलाके में ही रहने वाले योगी शिव से विवाह कर लिया।
एक यज्ञ में जब दक्ष ने पार्वती (शक्ति) और शिव को न्यौता नहीं दिया, फिर भी पार्वती शिव के मना करने के बावजूद अपने पिता के यज्ञ में पहुंच गई, लेकिन दक्ष ने शिव के विषय में सती के सामने ही अपमानजनक बातें कही। पार्वती को यह सब सहन नहीं हुआ और वहीं यज्ञ कुंड में कूद कर अपने प्राण त्याग दिए।
यह खबर सुनते ही शिव ने अपने सेनापति वीरभद्र को भेजा, जिसने दक्ष का सिर काट दिया। इसके बाद दुखी होकर सती के शरीर को अपने कंधों पर धारण कर शिव क्रोधित हो धरती पर घूमते रहे। इस दौरान जहां-जहां सती के शरीर के अंग या आभूषण गिरे वहां बाद में शक्तिपीठ निर्मित हो गए। जहां पर जो अंग या आभूषण गिरा उस शक्तिपीठ का नाम वह हो गया।
माता का रूप
मां के एक हाथ में तलवार और दूसरे में कमल का फूल है। रक्तांबर वस्त्र, सिर पर मुकुट, मस्तक पर श्वेत रंग का अर्धचंद्र तिलक और गले में मणियों-मोतियों का हार हैं। शेर हमेशा माता के साथ रहता है।
माता की प्रार्थना
जो दिल से पुकार निकले वही प्रार्थना। न मंत्र, न तंत्र और न ही पूजा-पाठ। प्रार्थना ही सत्य है। मां की प्रार्थना या स्तुति के पुराणों में कई श्लोक दिए गए है।
माता का तीर्थ
मानसरोवर के समीप माता का धाम है। जहां दक्षायनी माता का मंदिर बना है। वहीं पर मां साक्षात विराजमान है।
Sacred mythology of maa durga
Ya Devi Sarvabhuteshu Maa Siddhidatri Rupena
Sanstita I
Namastasai namastasai namastasyaai
namo nam: II
या देवी सर्वभूतेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
Meaning: O Maa! Ambe, who is known everywhere and known as Maa
Siddhidatri, I salute you repeatedly, or I salute you again and again. O Maa,
make me your blessing.
Sati Parvati, the ardhangini of Lord Shiva, a resident of
Mount Kailash, is known by the names Shailputri, Brahmacharini, Chandraghanta,
Kushmanda, Skandamata, Katyayini, Kalratri, Mahagauri, Siddhidatri etc. Apart
from this, the Maa has many names such as Durga, Jagadamba, Ambe, Sheeranwali
etc., but the beautiful name among all is 'Maa'.
Holy saga of Maa
Parvati Mata, daughter of King Daksha of Adi Satyuga, is
called Shakti. Parvati got the name because she was the daughter of
Parvataraja, the king of the mountains. But she fell in love with the devout
yogi Shiva. His name became Shakti due to Shiva. With the reluctance of his
father, she married Yogi Shiva, living in the Himalayan region.
In a yajna when Daksha did not invite Parvati (Shakti)
and Shiva, Parvati went to her father's yajna despite Shiva's refusal, but
Daksha spoke abusive things about Shiva in front of Sati. Parvati could not
bear it all and jumped into the sacrificial fire and sacrificed her life there.
On hearing this news, Shiva sent his commander Virabhadra,
who beheaded Daksha. After this, Shiva kept getting angry and roamed the earth,
holding Sati's body on his shoulders. During this period, where Sati's body
parts or jewelery fell, Shaktipeeth was later built. Where the organ or
ornament that fell, that Shaktipeeth got its name.
The Form Of Maa
The Maa has a sword in one hand and a lotus flower in the
other. Raktambara is a garment, a crown on the head, a white colored crescent
tilak on the head and a necklace of beads in the neck. The lion is always with Maa.
Prayer Of Maa
The prayer that came out of my heart. Neither mantras, nor
tantras nor prayers. Prayer is the truth. There are many verses in the Puranas
of Maa Prayer or Praise.
Shrine Of Maa
Maa abode is near Mansarovar. Where the temple of
Dakshayani Mata is built. The Maa is sitting there.
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